Monday, October 7, 2024
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इतिहास : आज 26 जून को ही चौसा के युद्ध में शेरशाह ने हुमायूं को हराया था और हुमायूं को बचाने वालो को एक दिन क़ी गद्दी मिली थी,जिसमे उसने चमड़े का सिक्का चलाया था | 

इतिहास : आज 26 जून 1539 को ही चौसा के युद्ध में शेरशाह ने हुमायूं को हराया था और हुमायूं को बचाने वालो को एक दिन क़ी गद्दी मिली थी जिसमे उसने चमड़े का सिक्का चलाया था | 

 

दिल्ली का तख्त एक दिन के लिए चौसा के निजाम भिश्ती को सौंपना भी एक दिलचस्प किस्सा है, जिसमें भिश्ती ने चमड़े का सिक्का चलवा दिया था, जो आज भी संग्रहालयों में मौजूद है।

बात समाज क़ी :- बक्सर: 26 जून 1539 को गंगा और कर्मनाशा नदी के संगम पर चौसा के मैदान में मुगल सम्राट हुमायूं और अफगान शासक शेरशाह सूरी के बीच हुए युद्ध ने भारतीय इतिहास में नया अध्याय लिखा। अफगान शासक शेरशाह ने हुमायूं की सेना को गुरिल्ला युद्ध नीति के तहत हराया, जिससे मुगलों को भारी नुकसान हुआ। इस जीत के बाद शेरशाह ने दिल्ली की सत्ता पर कब्जा कर लिया और अपने शासनकाल में कई सुधार किए, जिनमें ग्रैंड ट्रंक रोड को दुरस्त करवाना था , सिक्कों का प्रचलन, और राजस्व प्रणाली का सुधार शामिल है| 

 

शेरशाह की कूटनीति और युद्ध नीति के चलते हुमायूं को चौसा युद्ध में हार का सामना करना पड़ा। युद्ध के दौरान हुमायूं ने गंगा में कूदकर अपनी जान बचाई और एक भिश्ती की मदद से बच निकला। इस युद्ध में शेरशाह को भारी सफलता मिली और उसने “शेरशाह आलम सुल्तान-उल-आदित्य” की उपाधि धारण की।

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चौसा युद्ध के बाद मुगलों की शक्ति कमजोर पड़ गई और शेरशाह का प्रभुत्व भारत में बढ़ गया। 1540 में बलग्राम और कन्नौज के युद्ध में भी हुमायूं को हार का सामना करना पड़ा और उसे भारत छोड़ना पड़ा।

शेरशाह सूरी का शासनकाल प्रशासनिक और सैन्य क्षमताओं का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। चौसा की युद्धस्थली, जो ऐतिहासिक महत्व रखती है, अब राज्य पर्यटन विभाग द्वारा चार करोड़ की लागत से विकसित की जा रही है। यहाँ पर पर्यटन स्थल के रूप में सुधार कार्य किए जा रहे हैं, जिससे आने वाले पर्यटक निराश न हों और ऐतिहासिक स्थल का महत्व बना रहे।

दिल्ली का तख्त एक दिन के लिए चौसा के निजाम भिश्ती को सौंपना भी एक दिलचस्प किस्सा है, जिसमें भिश्ती ने चमड़े का सिक्का चलवा दिया था, जो आज भी संग्रहालयों में मौजूद है।

 

इस ऐतिहासिक युद्ध ने न केवल हुमायूं की पराजय को दर्ज किया बल्कि भारतीय प्रशासनिक प्रणाली में कई महत्वपूर्ण सुधार भी लाए, जो आज भी प्रासंगिक हैं।

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