पटना – बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिखते हुए, युवा उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता निशिकांत सिन्हा ने सोमवार को पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर स्थित बापू सभागार में आयोजित ‘हक हुंकार रैली’ में ‘जन आशीर्वाद पार्टी’ के गठन की औपचारिक घोषणा की। इस ऐतिहासिक रैली में लाखों की संख्या में लोग उमड़े, जिनमें युवाओं, महिलाओं, वंचित और किसान वर्ग की भागीदारी उल्लेखनीय रही।
रैली की शुरुआत गांधी मैदान स्थित जेपी गोलंबर से एक भव्य झंडा यात्रा के साथ हुई। इस पदयात्रा में कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने सम्राट अशोक का ध्वज लेकर नारे लगाते हुए बाबू सभागार तक का एक किलोमीटर का सफर तय किया। झंडा यात्रा का उद्देश्य सम्राट अशोक जैसे न्यायप्रिय नेतृत्व की प्रतीकात्मक वापसी को दर्शाना था।
हक हुंकार रैली में राज्य के कोने-कोने से लोग पटना पहुंचे। मंच पर कई सामाजिक प्रतिनिधियों, पिछड़े वर्ग के नेताओं, महिला प्रतिनिधियों और युवा वक्ताओं ने पार्टी का समर्थन जताया।
कार्यक्रम का संचालन रंजिता कुशवाहा ने किया और ओम प्रकाश मेहता ने सभा की अध्यक्षता की।
सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि निशिकांत सिन्हा ने कहा यह रैली अपने हक के लिए और 90% शोषित, वंचितजनों की हुंकार बनेगी। इस आंदोलन से जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी मिलेगी। बिहार की माटी सदियों से सामाजिक अन्याय, सामंतवाद और राजनीतिक सौदेबाजी होला है हर बार कुर्सियाँ बंटी. लेकिन कुशवाहा समाज और 90% शोषित वंचित जनसमूह को वादों का लालीपॉप मिला। अबतक कुशवाहा समाज को सत्ता की सीढ़ी बनाकर कचरे में फेंका जाता रहा है अब यह दौर बदलेगा, इसबार हम इस्तेमाल नहीं होंगे, इसबार हिसाब होगा। समाज जग चुका है अब हर 90% आबादी अपने अनुपात मे सत्ता की हिस्सेदारी लेगा अब यूज एण्ड थ्रो नहीं होगा।
आज की यह रैली नहीं बल्कि एक सामाजिक राजनीतिक चेतना और आत्मसम्मान की महाक्रांति का शंखनाद है सम्राट अशोक के वंशजों और बाबू जगदेव प्रसाद जी के जनआदर्शों को दर किनार कर सत्ता को बंधुआ बनाए रखनेवाले हर तंत्र को इस हक हुंकार रैली से सीधा जबाब मिलेगा। यह रैली हमारी सामूहिक शक्ति का प्रतीक बनेगा, जहा से नया बिहार का उदय होगा और व्यवस्था बदलेगी, पलायन रुकेगा, गाँव-गाँव मे औद्योगिक विकास होगा, खेती को औद्योगिक दर्जा मिलेगा। अब नेतृत्व उन हाथों में होगी जो सदियों से वंचित रहे हैं। जन प्रतिनिधि जनता के बीच से चुनकर आएगा और उनका सरकारी आवास उनके कार्यक्षेत्र में होगा। जिस समाज मे संख्या बल है, श्रम है, प्रतिभा है और संकल्प है उस समाज को नेतृत्व से वंचित रखना अन्याय है। अब अन्याय नहीं हिस्सेदारी चाहिए।
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