Monday, October 7, 2024
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तीसरे कार्यकाल के लिए डॉ दीनानाथ मौर्य का हुवा चयन, बधाइयां का ताँता 

तीसरे कार्यकाल के लिए डॉ दीनानाथ मौर्य का हुवा चयन, बधाइयां  का ताँता 

बात समाज की :- देश की सेवा में समर्पित सम्राट अशोक क्लब के केंद्रीय कार्यकारिणी का चुनाव दिनांक 16-06-2024 को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस चुनाव में डॉ. दीनानाथ मौर्य को तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर पुनः मनोनीत किया गया। महासचिव पद पर शत्रुघ्न सिंह, कोषाध्यक्ष पद पर श्याम नारायण सिंह (आचार्य), उपाध्यक्ष पद पर जय प्रकाश वर्मा, महाप्रबंधक पद पर डॉ. राजेश प्रसाद, संस्कृति मंत्री के रूप में मणिक चंद, और प्रचार मंत्री के रूप में कलिका प्रसाद का चयन आम सभा की बैठक में किया गया।

सभी चयनित पदाधिकारियों को उनके पद की शपथ डॉ. सचिदानंद मौर्य ने दिलाई। इस आम सभा में भारत के विभिन्न प्रदेशों से सदस्यों ने भाग लिया।

                                  कई प्रदेशो से पहुचे लोग

सम्राट अशोक क्लब एक राष्ट्र समर्पित संस्था है, जो राष्ट्रीय प्रतीकों का आम जनमानस में प्रचार-प्रसार करती है एवं शोभा यात्राओं के माध्यम से लोगों में राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति चेतना जाग्रत करती है। यह संस्था संविधान का सम्मान करते हुए लोगों में संविधान के प्रति आस्था उत्पन्न करती है और वैज्ञानिक बौद्धिकता को प्रोत्साहित करती है।

महामानव गौतम बुद्ध और सम्राट अशोक महान के लोककल्याणकारी विचारों को तथा जगदेव प्रसाद के विचारों को आत्मसात करते हुए, यह संस्था इन्हें जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करती है।

आज भी कई लोग अपने राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में अनभिज्ञ हैं। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय स्तंभ अशोक स्तंभ जो सारनाथ के म्यूजियम में रखा गया है, राष्ट्रीय तिरंगा, राष्ट्रीय फल आम, राष्ट्रीय पंचांग शाक्य संवत, राष्ट्रीय वृक्ष बरगद, राष्ट्रीय मिठाई जलेबी, राष्ट्रीय फूल कमल, राष्ट्रीय खेल हॉकी, राष्ट्रीय वाक्य “सत्यमेव जयते”, राष्ट्रीय नदी गंगा, राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन, राष्ट्रीय पशु बाघ, राष्ट्रीय पक्षी मोर, और राष्ट्रीय अनाज गेहूं। इन सभी राष्ट्रीय प्रतीकों का अपना महत्व है और इन्हें जन-जन तक पहुंचाने का कार्य सम्राट अशोक क्लब बखूबी निभा रहा है।

 

राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान ही राष्ट्र की अभिव्यक्ति है | 

ये प्रतीक हमारे देश की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और नैतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करते हैं। जब हम अपने राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करते हैं, तो हम अपनी पहचान, इतिहास और मूल्यों का भी सम्मान करते हैं।

राष्ट्रीय प्रतीक हमारी एकता, अखंडता और गौरव का प्रतीक हैं। इनका सम्मान करना न केवल हमारे कर्तव्यों में शामिल है, बल्कि यह हमें अपनी राष्ट्रीयता का एहसास कराता है और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है।

इसलिए, प्रत्येक नागरिक का यह दायित्व है कि वह इन प्रतीकों का सम्मान करे और दूसरों को भी इनके प्रति सम्मान भाव रखने के लिए प्रेरित करे। राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करके हम अपने देश की महानता और अपनी पहचान को संरक्षित और सशक्त बनाते हैं।

 

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