योगी राज्य में बेटी नहीं है सुरक्षित, घटना के बाद हुई मौत!
बिहार के रोहतास जिले के सासाराम की 17 वर्षीय स्नेहा सिंह, जो बनारस (वाराणसी) में पाण्डेय गर्ल्स बनारस में नीट की तैयारी कर रही थीं, परिवार का आरोप है कि ,दुष्कर्म कर उनके शव को नष्ट कर दिया गया और सामूहिक अंतिम संस्कार कर दिया गया।
घटना का विवरण
स्नेहा सिंह ने अपने गांव से डॉक्टर बनने का सपना संजाकर बनारस में नीट की तैयारी शुरू करने की बात कही, भेलपुर स्टेशन के अंडर स्कूल की तरह रह रही थी। 31 जनवरी की रात स्नेहा ने अपनी मां से बातचीत की और बताया कि वह 1 फरवरी को गांव लौटने वाली है। उसने अपने छोटे भाई से भी बातचीत की और परिवार में खुशियों का माहौल बना दिया।
हालाँकि, जब परिवार वालों ने स्नेहा को फ़ोन किया, तो उन्होंने कॉल नहीं की। बार-बार फ़ोन करने के बाद, परिवार ने हॉस्टल की मालकिन से संपर्क किया। माल्किन ने टालमटोल को बताया कि स्नेहा दो अन्य लड़कियों के साथ सोई हुई है। जब फैमिली ने वीडियो कॉलिंग के जरिए स्टेटस देखने का प्रयास किया तो कुछ देर बाद स्टिक वार्डन ने सूचना दी कि ”आपकी लड़की की आत्म हत्या कर ली है ।”
परिवार के आरोप और पुलिस की कार्रवाई
परिवार का कहना है कि स्नेहा के साथ मिलकर गहरी साजिश रची गई और अंततः उसकी हत्या कर दी गई। परिवार के अनुसार, ऑब्ज़र्वेटिव ग्रुप ने लड़की को बंधक बनाकर उसके शव को मौत के घाट उतार दिया।
इस घटना के बाद जब परिवार ने मामले की जानकारी ली तो पता चला कि वाराणसी पुलिस ने कोई सहयोग नहीं किया। पुलिस के बयान में कहा गया है, ”यहां बिहार नहीं है, यहां यूपी का कानून है।” शव को घाट पर ले जाकर अंतिम संस्कार किया गया। इसके अलावा, घटना के संबंध में लीपापोती के लिए मामला दर्ज किया गया था, लेकिन केवल धारा 103 में मामला दर्ज किया गया था। परिवार का आरोप है कि लड़की की उम्र 17 साल है, फिर भी पॉक्सो एक्ट (POCSO) लागू नहीं हुआ.
इस अनोखी घटना के बाद सासाराम के परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की अगली कड़ी पेश की है। परिवार का मानना है कि वाराणसी के पुलिस, कर्मचारी मालिक और उनके आपराधिक सहयोगियों ने को बचाने की कोशिश की है।
इस मामले में केवल एक परिवार की गहरी पीड़ा की शिकायत नहीं है, बल्कि सवाल यह है कि युवाओं की सुरक्षा के लिए क्या पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं। परिवार और स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस घटना में एक व्यापक व्यवसाय शामिल हो सकता है, जिसमें पीछे सिर्फ जमीन नहीं बल्कि सामान और दबाव भी शामिल है।
स्नेहा सिंह की यह घातक घटना समाज में महिला सुरक्षा एवं न्याय व्यवस्था पर गहन प्रश्न लगा रही है। परिवार और समाज के कई वर्ग इस घटना के खिलाफ स्पष्ट कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि आदर्श के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
जब तक इस मामले की समीक्षा और व्यापक जांच नहीं हुई, तब तक यह निष्कर्ष निकला कि वास्तव में योगी राज्य में बेटियां सुरक्षित हैं या फिर उनकी जान लेने की घटनाओं का मतलब पा रही हैं।
सासाराम से सांसद मनोज कुमार ने की मांग
भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर आजाद ने न्याय की मांग की
बिहार के सासाराम की 17 साल की नाबालिग लड़की स्नेहा सिंह, जो वाराणसी के जवाहर नगर स्थित रामास्वामी कॉलेज में मेडिकल परीक्षा (एनईईटी) की तैयारी कर रही थी, उनकी 1 फरवरी 2025 को शव सामुहिक समुदाय में विपक्ष से मुलाकात हुई।
परिवार के मुताबिक, स्नेहा के साथ पहले रेप किया गया, फिर उसकी हत्या कर शव को फांसी पर लटका दिया गया। लेकिन सरकारी प्रशासन और नृशंसता ने भी आगे चलकर बच्ची के शव को परिवार को बढ़ावा दिया, बजाय इसके कि प्रशासन ने खुद ही मंजूरी-अनुमोदन में जला दिया।
मैं पूछता हूँ चाहता हूँ:-
1. यदि यह आत्महत्या थी, तो परिवार को शव क्यों नहीं दिया गया?
2. अगर यह हत्या थी, तो फिर से जीवित रहने की कोशिश क्यों की जा रही है?
3. जातीय दबाव में प्रशासन ने परिवार के स्वामित्व के बिना शव का अंतिम संस्कार कर दिया?
*यह सरकार ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देती है, लेकिन असल बात यह है कि बेटियों को बचाने के बजाय बेटियों के शवों को जलाया जा रहा है, ताकि बेटियों को बचाया जा सके।
@UPGovt से स्पष्ट मेरी मांग है:-
इस मामले की ऐतिहासिक जांच की जानी चाहिए और इसके साक्ष्य फास्ट-ट्रैक कोर्ट में हो सकते हैं।
हत्या, बलात्कार, और साक्ष्य पर संयुक्त राष्ट्र पुलिस और सरकारी अधिकारियों की गवाही में इस जघन्य अपराध को दर्ज करने की मांग की गई है।