बात समाज की – बॉलीवुड की चर्चित एक्ट्रेस रही ममता कुलकर्णी, जो अपने विवादित जीवन के कारण हमेशा चर्चा में रही हैं, अब किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं। लेकिन क्या वह वास्तव में इस पद की हकदार हैं? इस प्रोग्राम में हम आपको ममता कुलकर्णी के जीवन के उन पहलुओं के बारे में बताएंगे, जो अब तक आपको नहीं पता होंगे।
ममता कुलकर्णी, जो कभी बॉलीवुड की सबसे चर्चित अभिनेत्रियों में शुमार होती थीं, अब अचानक किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं। लेकिन उनके इस कदम को लेकर सवाल उठ रहे हैं। लोग यह जानने के लिए हैरान हैं कि आख़िर ममता कुलकर्णी, जिनका जीवन हमेशा विवादों में रहा है, अचानक आध्यात्मिक जीवन को क्यों अपना रही हैं?
जिसका कभी अंडरवर्ल्ड कनेक्शन तो कभी ड्रग माफिया से शादी, तो टॉपलेस फोटोशूट खबरों से चर्चा में रहीं आज वो महामंडलेश्वर कैसे?
ममता कुलकर्णी 1990 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई और बहुत जल्दी एक प्रमुख स्टार बन गईं। लेकिन उनकी लाइफस्टाइल और निजी जीवन ने हमेशा सुर्खियां बटोरीं।
एक ओर जहां ममता ने बॉलीवुड में नाम कमाया, वहीं दूसरी ओर उनके ऊपर अंडरवर्ल्ड से संबंधों के आरोप भी लगे। कहा जाता है कि एक फिल्म के लिए उन्होंने अंडरवर्ल्ड के अपराधियों से डायरेक्टर को फोन करवाया था। इसके अलावा, 1993 में एक मैगजीन के लिए किए गए टॉपलेस फोटोशूट ने काफी विवाद खड़ा किया था।
विवादों का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। ममता कुलकर्णी ने 2013 में दुबई में ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी कर ली थी। विक्की गोस्वामी को ड्रग तस्करी के आरोप में 12 साल की सजा हुई थी, लेकिन ममता ने इन आरोपों को नकार दिया….
बताया जाता है कि विक्की कभी अहमदाबाद में अवैध शराब बेचता था। उसके पास खुद का जेट विमान है, होटल चेन हैं। गुजरात एटीएस के मुताबिक, विक्की गुजरात के रिटायर्ड डीएसपी आनंदगिरी गोस्वामी का बेटा है, जो 15 भाई-बहनों के बीच पला बढ़ा। उसके पिता आनंदगिरी को गुजरात में अवैध रूप से शराब बेचने के मामले में सस्पेंड किया गया था। तब विक्की परिवार के साथ अहमदाबाद के पालड़ी में रहता था। पालड़ी के ही रहने वाले बिपिन पांचाल से उसकी मुलाकात हो गई। पांचाल को ही विक्की का ‘गुरु’ बताया जाता है। उसी ने विक्की को मैंड्रेक्स के कारोबार से जोड़ा।
जिसके बाद दुबई पुलिस ने 1997 में ड्रग्स रखने के आरोप में विक्की को अरेस्ट किया था। जिसमें उसे 25 साल की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, मुस्लिम धर्म स्वीकार करने के चलते वह 5 सालों में ही बरी हो गया था। इसके बाद केन्या चला गया… बताया जाता है कि विक्की जब सऊदी की जेल में था, तभी ममता कुलकर्णी ने उससे शादी कर ली थी। विक्की जब जेल में था, तब उसका होटल बिजनेस ममता ही संभाला करती थी।
दुबई के एक न्यूज पेपर के अनुसार दुबई में आजीवन कारावास की सजा 25 साल की होती है। लेकिन आरोपी इससे बचने के लिए अपील कर सकता है। यहां अच्छे बर्ताव और कुरान की आयतें सीखकर मुस्लिम धर्म स्वीकार करने वाले व्यक्ति की सजा बहुत कम कर दी जाती है। विक्की ने इसी सजा से बचने के लिए मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया था। इसके चलते उसे सिर्फ 5 साल की ही जेल हुई थी। विक्की ने जेल में ही ममता से मुस्लिम रीति-रिवाज से ही शादी की थी। और फिर 2016 में मुंबई पुलिस ने ममता के खिलाफ ड्रग्स तस्करी मामले में अरेस्ट वारंट जारी किया था।
वहीं महामंडेश्वर बनने को लेकर ममता कुलकर्णी ने बताया कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने मेरी 23 साल की तपस्या को समझा और स्वामी महेंद्रानंद गिरि महाराज ने मेरी परीक्षा ली जिसमें मैं उत्तीर्ण हुई। मुझे नहीं पता था कि पिछले तीन दिनों से मेरी परीक्षा ली जा रही है। मुझे कल ही महामंडलेश्वर बनाने का न्यौता मिला। कुलकर्णी ने कहा, ‘किन्नर अखाड़ा के मध्यम मार्गी होने के कारण मैं इसमें शामिल हुई। मुझे बॉलीवुड में वापस नहीं जाना था, इसलिए 23 साल पहले मैंने बॉलीवुड छोड़ दिया। अब मैं स्वतंत्र रूप से मध्यम मार्ग अपनाते हुए सनातन धर्म का प्रचार करूंगी। मैं इससे पूर्व 12 साल पहले यहां महाकुंभ में आई थी।
ममता कुलकर्णी ने कहा कि स्वामी महेंद्रानद गिरि, इंद्र भारती महाराज और एक अन्य महाराज मेरे सामने ब्रह्मा विष्णु महेश के रूप में सामने आ गए। मेरे मन ने कहा कि तुमने 23 साल तपस्या की तो इसका सर्टिफिकेट (महामंडलेश्वर का पद) तो बनता ही है। अपने फिल्मी सफर के बारे में उन्होंने कहा, “मैंने 40-50 फिल्मों में अभिनय किया और फिल्म जगत को छोड़ते समय मेरे हाथ में 25 फिल्में थीं। मैंने किसी परेशानी में आकर संन्यास नहीं लिया, बल्कि आनंद की अनुभूति करने के लिए संन्यास लिया।”
पट्टाभिषेक के बाद ममता कुलकर्णी ने कहा कि उन्होंने कुपोली आश्रम में जूना अखाड़ा के चैतन्य गगन गिरि महाराज से 23 साल पूर्व दीक्षा ली थी और वह दो साल से लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के संपर्क में हैं।
अब सवाल उठता है कि कौन हैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी
दरअसल आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी किन्नर अखाड़े की पहली महामंडलेश्वर हैं। 13 दिसंबर 1978 को महाराष्ट्र के ठाणे के ब्राह्मण परिवार में जन्मीं लक्ष्मी ने डांस की प्रफेशनल ट्रेनिंग ली है। उन्होंने भारतनाट्यम में पीजी किया है। वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और किन्नर समाज को समानता का अधिकार दिलाने के लिए काम करती हैं। उन्होंने ‘मी हिजड़ा, मी लक्ष्मी’ नाम से एक किताब भी लिखी है, जो काफी चर्चा में रही थी।
आपको याद होगा इससे पहले सुखविंदर कौर भी आई थी जो राधे मां के नाम से जानी जाती है…उनके अनुयायी बताते हैं कि वह बचपन से ही आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित थीं और अपने गांव के काली मंदिर में बहुत समय बिताती थीं । हालांकि, उनके गांव के लोगों के अनुसार, बचपन में उनका कोई आध्यात्मिक झुकाव नहीं था। मुंबई में अपने शुरुआती वर्षों के दौरान, राधे माँ अक्सर सत्संग के लिए पंजाब के होशियारपुर और कपूरथला वापस जाती थीं ।
बाद में उन्होंने मुंबई, दिल्ली और अन्य शहरों में अधिक अनुयायी पाने के लिए अपना पैसा गरीबों को देना शुरू कर दिया। वहीं कई दिग्गज बॉलीवुड और टीवी अभिनेता/अभिनेत्रियाँ भी राधे माँ की भक्त बताई जाती हैं। हालांकि उन पर शाररिक संबंध बनाने के भी आरोप लगे है… साथ ही वे केवल सांसारिक विवादों में ही नहीं घिरी बल्कि जूना अखाड़े द्वारा उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दिया गया जो की आगे चलकरआ गया। जिसके बाद उन पर लगाए गए आरोप सही पाए जाने पर अखाड़े ने उनसे महामंडलेश्वर की उपाधि भी वापिस ले ली… अब सवाल उठता है कि क्या आगे आने वाले समय में ममता कुलकर्णी के साथ भी ऐसा तो नहीं होगा?
वहीं ममता कुलकर्णी के तरह बॉलीवुड को छोड़कर अनु अग्रवाल भी आई थी….जिसने बॉलीवुड की कई ब्लॉकबस्टर हिट फिल्मों के लिए जानी जाती हैं। अब अनु अग्रवाल फिल्मी जगत की चकाचौंध से दूर हो गई है। और उन्होंने भी संन्यास ले लिया था और साधु बन गईं… वहीं भोजपुरी एक्ट्रेस प्रियंका पंडिता काफी ज्यादा फेमस एक्ट्रेस में से एक हैं। उन्हें शकीरा नाम से भी जाना जाता था। वो भी ग्लैमरस की दुनिया को छोड़ अब कृष्ण भक्ति में लीन हो गईं… ऐसे कई नाम है जिन्होंने ग्लेमर की दुनियां को छोड़ अध्यात्मिक और स्प्रीचुअल में आ गई हैं….
वहीं महामंडलेश्वर बनने के लिए एक व्यक्ति को संन्यासी बनना पड़ता है, जिसमें आध्यात्मिक ज्ञान, तपस्या और संसारिक मोह-माया से पूरी तरह दूर होना आवश्यक होता है। इसके लिए वर्षों की साधना और शिक्षा की आवश्यकता होती है…
जिसे लेकर ममता कुलकर्णी ने कहा कि मैंने कभी किसी भी अपराध को सपोर्ट नहीं किया। मेरी जिंदगी में जो हुआ, वह मेरी व्यक्तिगत यात्रा है। आज मैं एक नए रास्ते पर चलने की कोशिश कर रही हूं
यह सवाल उठता है कि आखिर इस समय में ममता कुलकर्णी आध्यात्मिक जीवन को क्यों अपना रही हैं। क्या यह उनका सचमुच का मोक्ष की ओर कदम बढ़ाना है, या फिर कुछ और कारण हैं?
वहीं किन्नर अखाड़ा सनातन धर्म के प्रमुख 13 अखाड़ों से अलग है, क्योंकि यहां संन्यास लेने के बाद भी भौतिक जीवन जीने की अनुमति होती है।
यही कारण है कि ममता ने इस अखाड़े को चुना, जिससे वह आध्यात्मिक जीवन जीते हुए भी अपने पारिवारिक रिश्तों को बनाए रख सकती हैं।
हालांकि अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या ममता का यह आध्यात्मिक सफर उनके पुराने विवादों को पूरी तरह मिटा सकेगा, या यह सिर्फ एक नई चर्चा का कारण बनेगा। ममता कुलकर्णी का जीवन, जिनकी ज़िंदगी में हमेशा कुछ न कुछ नया हंगामा होता रहा है। आज वह एक नई राह पर चलने की कोशिश कर रही हैं, और देखते हैं कि इस नए अध्याय में वह किस दिशा में जाती हैं। आपको क्या लगता है, क्या यह उनका सचमुच का आध्यात्मिक परिवर्तन है या फिर कुछ और? इस पर आप अपना विचार साझा कर सकते है