बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद हिंदुओं पर बढ़े हमले, सुरक्षा की मांग को लेकर ढाका में विरोध प्रदर्शन
बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बढ़ी हिंदू विरोधी हिंसा, सुरक्षा के लिए सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी
बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद से राजनीतिक उथल-पुथल का माहौल है। जमात इस्लामी और बीएपी के समर्थकों के विरोध प्रदर्शन के बीच, देश के हिंदू समुदाय पर हमलों में वृद्धि हुई है। इस बढ़ती हिंसा के खिलाफ सैंकड़ों बांग्लादेशी हिंदुओं ने शुक्रवार को ढाका में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
ढाका की सड़कों पर उतरे हिंदू समुदाय ने जोर देकर कहा कि बांग्लादेश सभी का देश है और कोई भी उन्हें यहां से निकाल नहीं सकता। प्रदर्शनकारियों ने यह स्पष्ट किया कि वे बांग्लादेश छोड़ने वाले नहीं हैं और अपनी सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे। “यह देश किसी के बाप का नहीं है। हमने खून दिया है, जरूरत पड़ी तो फिर से खून देंगे,” यह नारा प्रदर्शनकारियों की आवाज बना।
कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं पर हमले
शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से कट्टरपंथी तत्वों ने हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई ओइक्या परिषद के अनुसार, देश के 64 में से 52 जिलों में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ 205 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इससे देशभर के अल्पसंख्यक समुदायों में भय और असुरक्षा की भावना गहराती जा रही है।
रैली में प्रमुख मांगें
प्रदर्शनकारियों ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने और उसे लागू करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने अल्पसंख्यक सुरक्षा आयोग की स्थापना और संसद में अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की भी मांग उठाई। प्रदर्शन के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के सामाजिक कार्यकर्ताओं पर भी निशाना साधा, जिन्होंने हिंसा के खिलाफ अपनी चुप्पी साधे रखी है।
अल्पसंख्यकों में बढ़ती चिंता
बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध, और ईसाई समुदाय के सदस्यों के बीच शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से अनिश्चितता और चिंता का माहौल है। उनके अनुसार, देश में अल्पसंख्यक समुदायों के उत्पीड़न के मामले तेजी से बढ़े हैं, जिससे उनकी सुरक्षा पर गहरी आशंका बनी हुई है।
इस लेख में बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद उत्पन्न राजनीतिक संकट और उसके परिणामस्वरूप हिंदू समुदाय पर बढ़ती हिंसा पर प्रकाश डाला गया है। साथ ही, अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों और उनकी मांगों पर विस्तृत चर्चा की गई है।