Buxar News जिले के चौपाई प्रखंड अंतर्गत ग्राम बैदा में एक दर्दनाक घटना हुई है, जो आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त अंधविश्वास की एक झलक पेश करती है। दीपक कुशवाहा की 12 वर्षीय पुत्री पिंकी कुमारी को सर्पदंश होने के बाद उसे अस्पताल ले जाने के बजाय, झाड़-फूंक के लिए कंजिया धाम ले जाया गया, जहां इलाज के अभाव में उसकी जान चली गई।
पिंकी कुमारी शाम 6 बजे अपने आंगन में झोपड़ी में पढ़ाई कर रही थी, तभी एक विषैले सांप ने उसे काट लिया। इस घटना के तुरंत बाद, परिजनों और गांव वालों ने उसे अस्पताल ले जाने के बजाय, अंधविश्वास के चलते कंजिया धाम ले जाने का फैसला किया। कंजिया धाम में लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
जब वहां लोगों ने देखा कि लड़की की हालत में सुधार नहीं हो रहा है, तब गांव के कुछ समाज के लोगों के कहने पर उसे प्रताप सागर के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद भी परिजन उसे अनुमंडल अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि गांव में अंधविश्वास कितनी गहराई तक पैठ बना चुका है। आज के समय में भी लोग झाड़-फूंक और ओझा के चक्कर में पड़कर जीवन की अनमोल कीमत चुका रहे हैं।
इस प्रकार की घटनाएं न केवल परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी हैं। किसी भी प्रकार के जहरीले जानवर के काटने पर तुरंत मेडिकल सहायता लेना आवश्यक है। ओझा, तंत्र-मंत्र या झाड़-फूंक के भरोसे न रहें। सांप के काटने जैसी गंभीर परिस्थितियों में समय पर अस्पताल पहुंचना और डॉक्टर से उचित इलाज लेना ही जीवन बचा सकता है।
घटना पर स्थानीय प्रतिक्रिया
घटना के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है। ग्रामीणों में आक्रोश और दुःख की लहर है। कई लोगों का मानना है कि यदि पिंकी को समय पर अस्पताल ले जाया जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। इस घटना ने गांव के लोगों को अंधविश्वास से बाहर निकलने और चिकित्सा विज्ञान पर भरोसा करने की आवश्यकता को और अधिक रेखांकित किया है।
समाज को संदेश
यह घटना हमें एक महत्वपूर्ण सबक देती है कि हमें विज्ञान और चिकित्सा की उपलब्धियों पर विश्वास करना चाहिए। अंधविश्वास और परंपरागत झाड़-फूंक से बाहर निकलकर हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना होगा, ताकि इस तरह की दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।