बात समाज की :- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पुणे के एक संगठन ने लीगल नोटिस भेजा है, जिसमें उनसे मांग की गई है कि वे उन गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के नाम सार्वजनिक करें, जिन पर उन्होंने अर्बन नक्सल होने का आरोप लगाया है, या फिर सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।
नोटिस का कारण
शिंदे के बयान सीएम शिंदे ने आरोप लगाया था कि कुछ एनजीओ ने महायुति गठबंधन के खिलाफ झूठे विमर्श गढ़े और चुनावों में उन्हें कमजोर करने की कोशिश की।
नोटिस देने वाले संगठन यह नोटिस ‘निर्भय बनो’ जन आंदोलन के सदस्य बालकृष्ण उर्फ बंटी निधालकर ने वकील असीम सरोदे के माध्यम से भेजा है।
राजनीतिक मुद्दों का उल्लेख नोटिस में कहा गया है कि सीएम शिंदे के लिए हर मुद्दे को राजनीति से जोड़ना अनुचित है, विशेष रूप से जब राज्य कृषि संकट और बढ़ती बेरोजगारी जैसे गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है।
एनजीओ के नाम की मांग नोटिस में अनुरोध किया गया है कि शिंदे उन एनजीओ के नाम पुलिस और जनता के सामने प्रकट करें जिन पर उन्होंने अर्बन नक्सल होने का आरोप लगाया है।
माफी की मांग अगर शिंदे अपने दावों को साबित नहीं कर सकते, तो उन्हें अपने ‘गैरजिम्मेदार और झूठे बयान’ के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
शिंदे के बयान के पीछे का कारण
महायुति गठबंधन शिंदे ने कहा था कि कुछ एनजीओ महायुति गठबंधन को कमजोर करने के लिए काम कर रहे हैं और योजनाबद्ध तरीके से सरकार के खिलाफ झूठे विमर्श फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये एनजीओ सरकार विरोधी हैं और सत्तारूढ़ गठबंधन के बारे में झूठ फैलाते हैं।
नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि अगर शिंदे अपने आरोपों को साबित नहीं कर सकते, तो उन्हें सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। यह मामला राजनीतिक और कानूनी रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राज्य के मुख्यमंत्री के बयान और उनके प्रभाव पर सवाल उठाता है।