बात समाज की Supaul बिहार के सुपौल जिले में विशेष सशस्त्र पुलिस के जवान ट्रेनिंग ले रहे थे, जब रविवार को नाश्ते में उन्हें जलेबी और काबुली चना की सब्जी के साथ पूरी दी गई। इसके बाद दोपहर में कई जवानों की तबीयत बिगड़ने लगी। जवानों को बार-बार उल्टियां हो रही थीं, लेकिन उन्हें कैंप से बाहर इलाज कराने की अनुमति नहीं दी गई और कैंप में ही दवा दी गई, जिससे उनकी हालत और बिगड़ गई। बाद में जवानों को नजदीकी अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया और इलाज के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

इस घटना के विरोध में जवान सोमवार सुबह भूख हड़ताल पर बैठ गए। उन्होंने अपने अधिकारियों से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। जैसे ही अधिकारियों को इसकी सूचना मिली, जवानों ने अपने कमांडेंट के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
डीआईजी ने जवानों की समस्याएं सुनीं घटना के बाद डीआईजी शफीउल हक ने मौके पर पहुंचकर जवानों की समस्याएं सुनीं और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। जवानों की शिकायतों के आधार पर डीआईजी ने क्लासरूम और बैरक का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद, जवानों ने अपना भूख हड़ताल वापस ले लिया।
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जवानों का आरोप था कि ट्रेनिंग सेंटर में केवल 400 जवानों को रखने की क्षमता है, जबकि वहां 935 जवानों को रखा गया है। इसके चलते गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा, बैरक के शौचालय और पानी की टंकी की नियमित सफाई नहीं होने से भी जवान नाराज थे।
डीआईजी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कैंप में मेस का चार्ज 8 कंपनियों को सौंप दिया और यह सुनिश्चित किया कि खाना जवानों की पसंद के अनुसार बनाया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मेस संचालक निर्धारित नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।