ट्रम्प और एलन मस्क के बीच विवाद , नासा पर छाया संकट

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अमेरिका-

अमेरिका की राजनीतिक और व्यावसायिक दुनिया के दो दिग्गज, डोनाल्ड ट्रम्प और एलन मस्क के बीच जारी विवाद ने देश की प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाई है। कभी साथ मिलकर काम करने वाले ये दोनों अब सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर कटु टिप्पणियां कर रहे हैं, जो अमेरिकी समाज के राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य पर प्रश्नचिह्न लगाता है।

राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प ने मस्क को अमेरिकी प्रशासन को बेहतर बनाने का जिम्मा दिया और उन्हें कैबिनेट तथा टॉप सीक्रेट बैठकों तक पहुंच दी, हालांकि मस्क की कोई आधिकारिक सरकारी हैसियत नहीं थी। उस समय मस्क ने ट्रम्प की योजनाओं का समर्थन किया और प्रशासन को सक्षम बनाने में सहयोग किया। लेकिन अब मस्क ट्रम्प को ‘एहसान फरामोश’ कहकर निशाना बना रहे हैं, वहीं ट्रम्प मस्क को ‘व्हाइट हाउस की याद में पागल’ तक कहने से नहीं हिचकिचा रहे।

मस्क ट्रम्प के ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ को संसद में गिराने की अपील कर रहे हैं, जबकि ट्रम्प उनकी कंपनियों को मिलने वाली अरबों डॉलर की सब्सिडी और राहत खत्म करने की धमकी दे रहे हैं। दोनों के बीच यह विवाद न केवल व्यक्तिगत मतभेदों का प्रदर्शन है, बल्कि अमेरिकी लोकतंत्र और राजनीतिक संस्कृति के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।

एलन मस्क ने प्रशासनिक सुधार के नाम पर हजारों लोगों को नौकरी से निकाल दिया, वहीं ट्रम्प ने उनके स्पेस कार्यक्रम के लिए भारी वित्तीय सहायता प्रदान की। इसके बावजूद, मस्क यह दावा करते हैं कि ट्रम्प उनकी मदद के बिना राष्ट्रपति नहीं बन पाते। दोनों की यह द्वंद्वात्मक स्थिति अमेरिकी समाज की विवेकशीलता और सोचने-समझने की शक्ति को कमजोर करने वाली है।

भारत में भी नेताओं के दल बदलने और पुरानी पार्टी के खिलाफ बोलने की घटनाएं होती हैं, लेकिन जनता इसे अनुचित मानती है और ऐसे नेताओं को आलोचना का सामना करना पड़ता है। अमेरिका में ट्रम्प-मस्क विवाद ने भी इसी तरह की छवि बनाई है, जहां व्यक्तिगत लाभ और सत्ता की लड़ाई ने लोकतांत्रिक मूल्यों को धक्का पहुंचाया है।

यह समय है जब दोनों पक्षों को अपने मतभेदों को सार्वजनिक मंच से नीचे लाकर देश की भलाई के लिए एकजुट होना चाहिए। विवाद और राजनीतिक नाटक से ज्यादा जरूरी है स्थिरता, समझदारी और समर्पण ताकि अमेरिका की वैश्विक छवि बनी रहे और उसके लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हों। ट्रम्प और मस्क को भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल देश की उन्नति के लिए करना चाहिए, न कि व्यक्तिगत कलह से उसे शर्मसार करने के लिए।

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