Bihar Smart Meter लगाने को लेकर जनता में असंतोष और विरोध बढ़ता जा रहा है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लोगों का मानना है कि स्मार्ट मीटर से बिजली के बिलों में वृद्धि हो रही है। इस मुद्दे को लेकर तमाम विपक्षी पार्टियां, जैसे माले, कांग्रेस, और RJD, लोगों की आवाज बन रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिजली विभाग के अधिकारी स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर महंगी गाड़ियों में घूम रहे हैं और जबरन स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। इसे लेकर विभिन्न पार्टियों ने आंदोलन भी किया है। 1 अक्टूबर को राजद द्वारा राज्य भर में स्मार्ट मीटर के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा
लोगों का कहना है कि बिजली (Electricity) कंपनियां (Company) स्मार्ट मीटर लगाने के काम में जितनी तेजी दिखा रही हैं, अगर उतनी ही तेजी से बिजली के तार, खंभे और ट्रांसफार्मर बदले जाते तो बिहार की बिजली की स्थिति में सुधार आ जाता। जर्जर तारों के चलते कई हादसे हो चुके हैं। हाल ही में बक्सर जिले के रामपुर गांव में बिजली के पोल में करंट आने से एक गधे की मौत हो गई, और उल्टा ग्रामीणों पर केस कर दिया गया। ऐसी घटनाएं बिहार के विभिन्न हिस्सों में घट रही हैं, लेकिन बिजली विभाग का इस ओर ध्यान नहीं है।
बिहार में Smart Meter को लेकर सियासत भी गर्म हो रही है। एक तरफ सरकार स्मार्ट मीटर के फायदे गिना रही है, तो दूसरी तरफ विपक्ष इसके खिलाफ आंदोलन कर रहा है। आरजेडी का कहना है कि बिहार में स्मार्ट मीटर नहीं चिटर हैं जो लोगो का खून चूस रही हैं और लूट मची हुई है, जिससे गरीब, किसान और आम उपभोक्ता परेशान हैं। इसी के चलते आरजेडी ने 1 अक्टूबर से स्मार्ट मीटर उखाड़ फेंको अभियान शुरू करने की घोषणा की है। कांग्रेस ने भी सोमवार को स्मार्ट मीटर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और नीतीश सरकार पर पूंजीपतियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
बिहार में Smart meter लगाने को लेकर जनता के असंतोष और विरोध के बीच, सत्ता में शामिल पार्टियों के कुछ कार्यकर्ताओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर अपने विचार साझा किए हैं। उनका मानना है कि स्मार्ट मीटर वास्तव में लोगों की आर्थिक स्थिति पर भारी पड़ रहा है। ये कार्यकर्ता सरकार की सीधी आलोचना नहीं कर सकते क्योंकि वे सत्ता में हैं, लेकिन इस मुद्दे पर वे विपक्ष के साथ खड़े हैं।
सत्ता में शामिल इन कार्यकर्ताओं ने कहा, “स्मार्ट मीटर वास्तव में लोगों का खून चूस रहे हैं। हमें सरकार की नीति की आलोचना करने की अनुमति नहीं है, लेकिन इस मामले में हम विपक्ष के साथ हैं।” यह बयान बताता है कि सत्ता के अंदर भी स्मार्ट मीटर को लेकर असंतोष व्याप्त है और यह मुद्दा केवल जनता और विपक्षी दलों तक ही सीमित नहीं है।
इन कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि वे विपक्ष के आंदोलन और विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि स्मार्ट मीटर का मुद्दा केवल राजनीतिक सियासत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव व्यापक है और यह सत्ता के भीतर भी दरारें पैदा कर रहा है।
स्मार्ट मीटर का मुद्दा बिहार में एक ज्वलंत समस्या बन गया है, जहां सत्ता में शामिल लोग भी इससे असहमत हैं। सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जनता की समस्याओं को सुलझाने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।