Samrat Ashok Club
बात समाज की :- सम्राट अशोक क्लब के संस्थापक स्मृतिशेष सुबास सिंह मौर्य का जन्म 3 जुलाई 1958 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के जमानियां तहसील के देवरिया ग्राम में हुआ था। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे और हमेशा कुछ नया करने के लिए तत्पर रहते थे। उनके पिता, विक्रमा सिंह, ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। उस समय समाज की स्थिति बहुत दयनीय थी, जिसमें आडम्बरों और कुरीतियों का बोलबाला था। समाज में एकजुटता की सोच पनप नहीं पा रही थी, जिससे सुबास जी बहुत दुखी रहते थे।
साधनों की कमी के बावजूद, उन्होंने अपने सपनों को साकार करने की ठान ली। नौकरी मिलने के बाद, जब वे आर्थिक रूप से मजबूत हुए, तो उन्होंने समाज की भयानक स्थिति को नजदीक से देखा। समाज में एकजुटता की कमी और स्वार्थी अगुआओं की स्थिति ने उन्हें समाज के सुधार के लिए कुछ ठोस करने की प्रेरणा दी।
02 फरवरी 1996 को सुबास सिंह ने सत्यनारायण मौर्य, वरुण कुमार मौर्य, ऋषिकांत, हंसलाल, रामनिवास राहुल, सिंहासन आदि सहयोगियों के साथ मिलकर ‘सम्राट अशोक क्लब’ की स्थापना की। उनकी सोच थी कि सम्राट अशोक की नीतियों के माध्यम से एक सशक्त समाज और राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है।
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शुरुआती समय में, क्लब ने सम्राट अशोक की नीतियों के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। इसके बाद, डॉ. सच्चिदानंद मौर्य, तित्यम्पी शाक्य, दयानन्द मौर्य, डॉ दीनानाथ मौर्य और रविंद्र सिंह जैसे समर्पित सहयोगियों के मिलने से क्लब के कार्यों में और तेजी आई। इन सहयोगियों ने क्लब की गतिविधियों को विस्तार देने और उसे एक नई ऊँचाई पर पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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आज, सम्राट अशोक क्लब के लाखों कार्यकर्ता सुबास सिंह मौर्य के सपनों को साकार करने में लगे हुए हैं और निश्चित रूप से सफल होंगे। उनके द्वारा स्थापित यह संस्था न केवल समाज को एकजुट करने में बल्कि एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
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05 अक्टूबर 2016 को, सुबास सिंह मौर्य ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन वे अपने पीछे एक मजबूत विचारधारा और एक सफल संगठन छोड़ गए। उनकी निधन तिथि पर, सम्राट अशोक क्लब और पूरा भारत उन्हें नमन करता है।
सुबास सिंह मौर्य की शिक्षाएं और उनके द्वारा दिए गए विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं और सम्राट अशोक क्लब उनके सपनों के नए भारत के निर्माण के लिए समर्पित है।
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