Monday, October 7, 2024
Homeसंस्कृति /संस्कारगुजरात में 12वीं कक्षा की समाजशास्त्र की कुछ पाठ्य पुस्तक में बौद्ध...

गुजरात में 12वीं कक्षा की समाजशास्त्र की कुछ पाठ्य पुस्तक में बौद्ध धर्म के बारे में लिखे गए पर विवाद उत्पन्न ।

बात समाज की :- गुजरात में 12वीं कक्षा की समाजशास्त्र की पाठ्य पुस्तक में बौद्ध धर्म के बारे में लिखे गए कुछ पाठों पर विवाद उत्पन्न हो गया है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों और विशेषज्ञों का मानना है कि पुस्तक में दी गई जानकारी गलत और भ्रामक है, जो बौद्ध धर्म के सिद्धांतों और आदर्शों के खिलाफ है।

   यह भी पढ़े 👉 GST काउंसिल की 53वीं बैठक सम्पन्न, दूध महँगा, प्लेटफॉर्म टिकट सस्ता

         जातिवाद का उल्लेख

पुस्तक में लिखा है कि बौद्ध धर्म के दो स्तर हैं: उच्च श्रेणी में ब्राह्मण, क्षत्रिय और कुछ गृहस्थ लोग आते हैं, जबकि निचली श्रेणी में आदिवासी और उपेक्षित लोग आते हैं। बौद्ध धर्म जाति-मुक्त है और भगवान बुद्ध ने जातिवाद का खंडन किया था। इस प्रकार की जानकारी बौद्ध धर्म की मूलभूत शिक्षाओं के विपरीत है।

             गलत जानकारी

पुस्तक में बौद्ध पुजारी को लामा कहा गया है, जो केवल तिब्बती क्षेत्र में सही है। सामान्यतः बौद्ध पुजारी को भिक्खु कहा जाता है। यह भी लिखा गया है कि बौद्ध धर्म कर्म और पुनर्जन्म में विश्वास करता है, जबकि बौद्ध धर्म में आत्मा और पुनर्जन्म की अवधारणा नहीं है।

  बौद्ध धर्म के तीन सैद्धांतिक विभाग

पुस्तक में बौद्ध धर्म के तीन विभागों के रूप में हीनयान, महायान और वज्रयान का उल्लेख किया गया है। वज्रयान मूल रूप से बौद्ध धर्म से संबंधित नहीं है बल्कि यह तिब्बत में प्रचलित एक संप्रदाय है।

 

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए, पेपर लिक सरकार कहा हैं | 

         बौद्ध समुदाय की प्रतिक्रिया

गुजरात बौद्ध अकादमी और अन्य बौद्ध संगठन इस प्रकार की गलत जानकारी का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस तरह की जानकारी बच्चों के दिमाग पर गलत प्रभाव डाल सकती है।
बौद्ध समुदाय के लोग इस मामले को मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और राज्यपाल देवव्रत अयारी के सामने भी उठा चुके हैं।

             सरकारी प्रतिक्रिया
गुजरात राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल के निदेशक वी. आर. गोसाई ने इस त्रुटि को स्वीकार किया है और कहा है कि इस मुद्दे को सही किया जाएगा।उन्होंने बताया कि यह जानकारी 2005 में प्रकाशित पाठ्य पुस्तक से ली गई थी और इस पर पहली बार आपत्ति दर्ज कराई गई है।
त्रुटियों को ठीक करने के लिए और सही जानकारी के साथ पाठ्य पुस्तकों को पुनः प्रकाशित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

इस विवाद ने पाठ्य पुस्तकों में दी गई जानकारी की सटीकता और प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को उजागर किया है कि किसी भी धर्म या समुदाय के बारे में सही और सटीक जानकारी दी जाए।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments