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प्राचीन सभ्यता और विपश्यना से योग का क्या सबंध हैं

प्राचीन सभ्यता और विपश्यना से योग का क्या सबंध हैं|

तुलसी मौर्य, समाजिक चिंतक 

बात समाज की :- योग दिवस के अवसर पर हमें योग की गहराई और उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब हम योग का जिक्र करते हैं, तो हमें यह जानने की जरूरत है कि योग की जड़ें भारत की प्राचीन परंपराओं में कितनी गहराई से समाहित हैं। यह विश्लेषण इस ओर ध्यान आकर्षित करेगा कि योग और ध्यान का महत्व कितना अधिक है और यह कैसे भारतीय संस्कृति और सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

           प्राचीन सभ्यता और योग

प्राचीन काल में, जब दुनिया के अधिकांश हिस्सों में अंधकार और असभ्यता का दौर था, भारत ने ज्ञान और प्रकाश का संदेश दिया। छठी शताब्दी ईसा पूर्व में, एक महान संत तथागत गौतम बुद्ध का उदय हुआ, जिन्होंने मानवता को जीवन जीने की कला सिखाई। बुद्ध के दर्शन के तीन स्तंभ थे: प्रज्ञा (ज्ञान), शील (नैतिकता), और समाधि (ध्यान)। इन तीनों ने मिलकर मानव जीवन को जागरूक, नैतिक और ध्यानमग्न बनाने की दिशा दिखाई।

           विपश्यना: बुद्ध की देन

बुद्ध ने विपश्यना के रूप में एक अनमोल विधि दी, जो आत्म-अवलोकन और आत्म-समझ की पद्धति है। विपश्यना का मुख्य उद्देश्य मन और शरीर की विभिन्न गतियों को एकत्रित करना और एकीकृत करना है। यह एक वैज्ञानिक पद्धति है जो व्यक्ति को अपने भीतर के सत्य को देखने और समझने में मदद करती है। विपश्यना का अभ्यास हमें हमारी समस्याओं के मूल कारणों को समझने में सक्षम बनाता है और उनके समाधान का मार्ग दिखाता है।

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     योग: विपश्यना का एक अंश

विपश्यना का एक छोटा सा हिस्सा योग है, जिसे आधुनिक समय में व्यापक रूप से अपनाया गया है। योग की इस पद्धति को पतंजलि के योगसूत्रों के माध्यम से व्यवस्थित किया गया। पतंजलि ने योग को एक विधिवत प्रणाली के रूप में प्रस्तुत किया, जो ध्यान, आत्मसंयम और नैतिकता पर आधारित है। हालांकि, योग का यह रूप बुद्ध के विपश्यना से प्रेरित है और इसकी जड़ें बुद्ध के समय से भी पहले के भारतीय परंपराओं में पाई जाती हैं।

    आधुनिक संदर्भ और योग दिवस

आज के समय में, योग को एक शारीरिक अभ्यास के रूप में अधिक प्रचारित किया जाता है, जबकि इसकी मूल भावना मानसिक और आध्यात्मिक विकास है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से योग के व्यापक लाभों को उजागर करने और इसे जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को योग के माध्यम से स्वस्थ और समृद्ध जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है।

अंतराष्ट्रीय योग दिवस विशेष, करें योग रहें निरोग 

योग और विपश्यना दोनों ही आत्म-अवलोकन और आत्म-समझ की पद्धतियाँ हैं, जो हमें हमारे भीतर की सच्चाई को जानने और समझने में मदद करती हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम योग को केवल एक शारीरिक अभ्यास के रूप में नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास के साधन के रूप में भी समझें और अपनाएँ। योग दिवस का यह अवसर हमें योग की गहराई और उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को समझने का एक सुनहरा मौका प्रदान करता है। हमें इस दिन का उपयोग योग के मूल सिद्धांतों को समझने और अपने जीवन में उन्हें शामिल करने के लिए करना चाहिए, ताकि हम शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ और समृद्ध जीवन जी सकें।

यह लेखक के अपने विचार हैं | 

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