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हाईकोर्ट के फैसला को राज्य सरकार देंगी चुनौती : सम्राट चौधरी 

हाईकोर्ट के फैसला को राज्य सरकार देंगी चुनौती : सम्राट चौधरी 

बात समाज की :- बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले को पटना हाई कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बाद, राज्य सरकार ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। यह फैसला राज्य के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने बताया। उनके अनुसार, राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में न्याय की मांग करेगी क्योंकि उन्होंने सभी वर्गों को आबादी के आधार पर आरक्षण देने का निर्णय लिया था।

    पटना हाईकोर्ट का निर्णय

पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी, और अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण देने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस फैसले को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट का मानना था कि यह आरक्षण का प्रतिशत 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता।     

    

      सरकार का रुख

राज्य सरकार का तर्क है कि बिहार में सभी वर्गों को आरक्षण देने का निर्णय राज्य की जातीय गणना के आधार पर लिया गया था। सम्राट चौधरी ने बताया कि बिहार में एसटी और एससी की आबादी बढ़ी है, इस आधार पर आरक्षण बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार गरीब राज्य है और इसे ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया था।

बिहार सरकार ने पिछले साल विधानसभा में राज्य के आर्थिक और शैक्षणिक आंकड़े पेश किए थे, जिनके अनुसार सामान्य वर्ग की आबादी 15 प्रतिशत है और इनके पास 6,41,281 सरकारी नौकरियां हैं।
पिछड़ा वर्ग, जिसकी आबादी 63 प्रतिशत है, के पास 6,21,481 सरकारी नौकरियां हैं।
अनुसूचित जाति की आबादी 19 प्रतिशत है और इनके पास 2,91,004 सरकारी नौकरियां हैं।
अनुसूचित जनजाति, जिसकी आबादी 1.68 प्रतिशत है, के पास 30,164 सरकारी नौकरियां हैं।

राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देगी और सभी वर्गों को आबादी के आधार पर आरक्षण देने के अपने निर्णय को सही ठहराने की कोशिश करेगी।

इस निर्णय का भविष्य में क्या असर होगा, यह देखना बाकी है, लेकिन फिलहाल यह मुद्दा बिहार की राजनीति और न्यायपालिका में महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना हुआ है।

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