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Bihar Politics : हीना शहाब और ओसामा की आरजेडी में घर वापसी

Bihar Politics 2025 के विधानसभा के चुनाव की बिसात अभी से सभी राजनीतिक पार्टी अपने-अपने तरीके से बिछा रही है | तेजस्वी तेजस्वी यादव जोकि पिछले कुछ सालों से ए टू जेड की पार्टी मंचों से कह रहे थे, उसको उन्होंने आज लगाम लगा दिया अपने पिता के दौर में लौट गए हैं और उनके द्वारा बनाए हुए माय (MY)मुस्लिम यादव समीकरण पर ही विश्वास जताया है और आज राजद के संस्थापक सदस्य रहे  मरहूम शहाबुद्दीन के पत्नी और उनके बेटे ओसमा साहब ने RJD के सदस्यता ली है

Bihar News बिहार की राजनीति में हाल के दिनों में नया मोड़ तब आया जब दिवंगत बाहुबली नेता और सीवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन का परिवार एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में शामिल हो गया। लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे शहाबुद्दीन के परिवार ने अपने सभी पुराने गिले-शिकवे भुलाकर लालू प्रसाद यादव की शरण में वापसी की है। रविवार को पटना स्थित राबड़ी देवी आवास पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब और उनके बेटे ओसामा ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में आरजेडी की सदस्यता ग्रहण की। इस अवसर पर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव Tejashwi Yadav ने दोनों को पट्टा पहनाकर उनका स्वागत किया। इस घटना ने बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है और आने वाले चुनावों को लेकर विभिन्न अटकलों का दौर शुरू हो गया है।

आरजेडी से शहाबुद्दीन परिवार का संबंध और नाराजगी की पृष्ठभूमि

सीवान के पूर्व सांसद और एक समय बिहार के चर्चित बाहुबली नेता रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन Shahabuddin का राजद से गहरा नाता रहा है। शहाबुद्दीन ने अपनी राजनीति की शुरुआत आरजेडी के बैनर तले ही की थी और लंबे समय तक पार्टी के साथ जुड़े रहे। आरजेडी की ओर से उन्हें कई बार चुनावी टिकट दिया गया और शहाबुद्दीन ने इसे जीतकर पार्टी के लिए अहम भूमिका निभाई। हालांकि, 2021 में शहाबुद्दीन की जेल में मृत्यु के बाद स्थिति बदल गई। शहाबुद्दीन के निधन के बाद उनकी पत्नी हीना शहाब ने सार्वजनिक रूप से यह आरोप लगाया कि जिस पार्टी के लिए उनके पति ने अपना जीवन समर्पित किया, उस पार्टी ने उनके निधन के बाद उनके परिवार को नजरअंदाज कर दिया।

हाल के लोकसभा चुनाव में हीना शहाब ने आरजेडी के आधिकारिक उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। हालांकि, इस चुनाव में दोनों ही उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा, परंतु यह घटना शहाबुद्दीन परिवार और आरजेडी के बीच बढ़ती दूरियों की पुष्टि के रूप में देखी गई। इसके बाद से ही आरजेडी और शहाबुद्दीन परिवार के बीच संबंधों में खटास बनी हुई थी।

ओसामा Osama शहाबुद्दीन की एंट्री: विवादों और राजनीतिक भविष्य की तलाश

शहाबुद्दीन के निधन के बाद उनके बेटे ओसामा को राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, ओसामा का राजनीतिक सफर विवादों से अछूता नहीं रहा है। वह पहले भी जमीन कब्जा करने के मामले में जेल जा चुके हैं। हाल ही में उन्हें इस मामले में जमानत मिलने के बाद जेल से रिहा किया गया है। ऐसी परिस्थितियों में उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चाएं चल रही थीं, और इसी के बीच हीना शहाब ने बेटे के राजनीतिक करियर को मजबूत बनाने की दृष्टि से आरजेडी में वापसी का निर्णय लिया। ओसामा की आरजेडी में शामिल होने की एंट्री उनके राजनीतिक सफर का महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है, और इस कदम से आरजेडी को सीवान समेत आसपास के क्षेत्रों में फिर से मजबूत पकड़ बनाने में मदद मिल सकती है।

लालू और तेजस्वी का स्वागत: आरजेडी की मजबूती पर जोर

Hina शहाब और ओसामा के आरजेडी में शामिल होने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष lalu प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने इस कदम का स्वागत किया। तेजस्वी यादव ने कहा कि दोनों के पार्टी में शामिल होने से आरजेडी को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा, “आज के समय में हमें एकजुट रहना है और शहाबुद्दीन परिवार का हमारी पार्टी में शामिल होना हमारे लिए बहुत सकारात्मक है। इससे न केवल सीवान बल्कि पूरे बिहार में पार्टी को मजबूती मिलेगी।” लालू यादव ने भी इस अवसर पर हीना शहाब और ओसामा को पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया और कहा कि आरजेडी परिवार हमेशा उनके साथ रहेगा।

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राजनीतिक समीकरणों पर असर और विपक्ष का तीखा हमला

शहाबुद्दीन परिवार की आरजेडी में वापसी से बिहार की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस घटनाक्रम के बाद सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच जुबानी जंग और तेज हो गई है। सत्ताधारी दलों ने इसे आरजेडी का दोहरा चरित्र बताते हुए कहा है कि पार्टी ने बाहुबली और विवादित नेताओं का साथ देकर खुद की असलियत दिखा दी है। वहीं, आरजेडी समर्थक इसे शहाबुद्दीन परिवार के लिए न्याय के रूप में देख रहे हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए वर्षों तक संघर्ष किया है।

बिहार की सियासत में भविष्य का संभावित प्रभाव

शहाबुद्दीन परिवार की वापसी ने सीवान और आसपास के क्षेत्रों में आरजेडी को नए सिरे से मजबूती दी है। अब ओसामा की राजनीति में एंट्री के साथ यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपने पिता की विरासत को किस दिशा में लेकर जाते हैं और इससे आरजेडी को कितना फायदा मिलता है। आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है और इसका असर बिहार की राजनीति पर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।

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