झारखंड मुक्ति मोर्चा का भाजपा और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप
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Jharkhand Politics झारखंड मुक्ति मोर्चा का सीधा आरोप भाजपा और चुनाव आयोग पर है कि भाजपा कैसे अंदर की बाते जान पा रही है| भाजपा के चुनाव प्रभारी रहे असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व ने कहा कि आचार संहिता लगने वाला है इसके बाद ही चुनाव आयोग के द्वारा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया जाता है जबकि विधानसभा का कार्यकाल अगले साल जनवरी तक है | झारखंड का स्थापना दिवस भी 15 नवंबर को है इस पर झारखंड मुक्ति मोर्चा चुनाव ने आयोग से आग्रह किया था की झारखंड विधानसभा का चुनाव त्यौहार बाद और स्थापना दिवस के बाद हो लेकिन चुनाव आयोग के द्वारा विधानसभा चुनाव का ऐलान कर दिया गया |
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM ) ने झारखंड में चुनाव की घोषणा को लेकर भारत निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़ा किया है। झामुमो के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि आखिर चुनाव आयोग ने इतनी जल्दबाजी में झारखंड में चुनाव की घोषणा क्यों की है।
जल्दबाजी पर सवाल
विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि महाराष्ट्र में चुनाव समय पर हो रहे हैं, क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को पूरा हो रहा है। वहीं, पंचम झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को पूरा होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग ने झारखंड में चुनाव की घोषणा इतनी पहले क्यों की है|
विनोद पांडेय ने आरोप लगाया कि असम के मुख्यमंत्री और BJP के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्व सरमा ने चुनाव आयोग की घोषणा से एक दिन पहले ही यह बता दिया था कि मंगलवार को चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी। इससे दो सवाल उठते हैं: या तो चुनाव आयोग भाजपा के निर्देश पर चल रहा है, या फिर चुनाव आयोग के फैसले की जानकारी भाजपा को पहले मिल जाती है। दोनों ही स्थितियों में चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा होता है।
हेमंत सोरेन की लोकप्रियता:
पांडेय ने कहा कि मुख्यमंत्री Hemant Soren की बढ़ती लोकप्रियता और उनके नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की सरकार के जनहित में लिए जा रहे ऐतिहासिक निर्णयों से भाजपा घबरा गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन को अपना कार्यकाल पूरा नहीं करने दिया जा रहा है और भाजपा लगातार असंवैधानिक और अनैतिक हथकंडे अपनाकर इंडिया गठबंधन की सरकार को अपदस्थ करने का षड़यंत्र रच रही है।
विनोद पांडेय ने कहा कि हाल में मुख्य चुनाव आयुक्त के नेतृत्व में आयोग की टीम ने झारखंड का दौरा किया था। झामुमो ने दीपावली और छठ महापर्व को ध्यान में रखते हुए चुनाव को इसके बाद कराने का आग्रह किया था। इसके अलावा, 15 नवंबर को झारखंड के स्थापना दिवस के बाद चुनाव कराने का अनुरोध भी किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा में त्योहारों के मद्देनजर चुनाव की तारीख बढ़ाई गई, लेकिन झारखंड में झामुमो के किसी भी आग्रह को चुनाव आयोग ने नहीं माना।