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सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण वाले याचिका पर विचार करने से किया माना

जब से बिहार में जाति जनगणना हुई है तब से पूरे देश भर में जाति जनगणना, आर्थिक जनगणना कराने की मांग उठ रही है, राजनीतिक पार्टियों भी इस मुद्दे को उठा रही है|

सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक-आर्थिक जातिगत गणना की याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है, जिससे यह मामला अब पूरी तरह से सरकार के दायरे में चला गया है।

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सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता पी. प्रसाद नायडू की याचिका पर न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि जातिगत गणना एक नीतिगत मामला है, जिस पर अदालत का हस्तक्षेप उचित नहीं है। इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

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यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब विपक्ष केंद्र सरकार पर दबाव बना रहा है कि पूरे देश में जातिगत जनगणना कराई जाए, ताकि समाज के विभिन्न वर्गों की वास्तविक स्थिति का पता चल सके और उन्हें सरकार की नीतियों का सही लाभ मिल सके। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस रूख के बाद यह मामला अब पूरी तरह से सरकार के नीतिगत निर्णय पर निर्भर करेगा।

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