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नितीश कुमार क्या भूमिहार को निपटा के हीं ?

नीतीश कुमार की राजनीति में भूमिहार समुदाय के नेताओं के खिलाफ हालिया घटनाओं ने बहुत कुछ   हवा दी है। केसी त्यागी के इस्तीफे के बाद इस ऑपरेशन की बात और जोर पकड़ रही है। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने खुलासा किया कि त्यागी से इस्तीफा लेने के पीछे नीतीश कुमार की मंशा थी। सूत्रों के अनुसार, यह इस्तीफा त्यागी के विपक्षी दलों के साथ इजराइल-फिलिस्तीन विवाद पर सरकार के स्टैंड के विरोध के कारण लिया गया।

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अशोक चौधरी के जहानाबाद में दिए गए विवादास्पद बयान को भी इस ऑपरेशन का हिस्सा माना जा रहा है। नीतीश कुमार की मौन सहमति और समर्थन ने इस बयान को और विवादित बना दिया है। अशोक चौधरी को नीतीश कुमार का आशीर्वाद प्राप्त है, जो उनके जनाधारहीनता के बावजूद उन्हें मजबूत स्थिति में रखता है।

ललन सिंह के पर कतरने की बात भी इसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। जेडीयू की प्रदेश कमेटी के भंग करने के बाद, ललन सिंह के समर्थकों को नयी कमेटी से बाहर कर दिया गया, जो साफ तौर पर नीतीश कुमार की ओर से संकेत माना जा रहा है।

सरकार के अंदर भी इस ऑपरेशन के संकेत मिल रहे हैं। हाल ही में, नीतीश कुमार ने राजगीर में हुए खेल अकादमी और स्टेडियम के उद्घाटन समारोह में केवल एक डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को बुलाया, जबकि दूसरे डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा को अनदेखा कर दिया गया। यह बदलाव नीतीश कुमार की नई रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

नीतीश कुमार की हालिया गतिविधियाँ “ऑपरेशन भूमिहार” की ओर इशारा कर रही हैं, जिसमें पार्टी और सरकार दोनों स्तरों पर भूमिहार समुदाय के नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। इस ऑपरेशन की शुरुआत अभी हुई है, और आने वाले समय में इसके और विस्तार की संभावना है।

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