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बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का उग्र प्रदर्शन जारी, कर्फ्यू लागू

 बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का उग्र प्रदर्शन जारी, कर्फ्यू लागू

बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के चलते स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। प्रदर्शनकारियों के उग्र रवैये और हिंसा की घटनाओं के बाद बांग्लादेश सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया है। रविवार शाम छह बजे से कर्फ्यू लागू कर दिया गया है, ताकि हालात पर काबू पाया जा सके। इस दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी बंद रहेंगी।

बांग्लादेश में छात्र समुदाय विवादित आरक्षण प्रणाली के खिलाफ सड़कों पर उतर आया है। यह आरक्षण प्रणाली 1971 के स्वतंत्रता संग्रामियों के परिवारों को 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियों का आरक्षण देती है, जिसे समाप्त करने की मांग करते हुए छात्र उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं। हाल ही में हुई झड़पों में अब तक 95 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

फेनी हिंसा में 5 लोगों की मौत।
सिराजगंज 4 लोगों की मौत। मुंशीगंज: 3 लोगों की मौत।बोगुरा, मगुरा, भोला, रंगपुर प्रत्येक स्थान पर 3-3 लोगों की मौत।पाबना, सिलहट प्रत्येक में 2-2 लोगों की मौत।कोमिल्ला, जयपुरहाट, ढाका, बारीसाल प्रत्येक में 1 व्यक्ति की मौत।

 बांग्लादेश सरकार की प्रतिक्रिया

प्रदर्शनकारियों की हिंसा को देखते हुए बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने देशव्यापी कर्फ्यू की घोषणा की है। यह कर्फ्यू रविवार शाम से लागू किया गया है, जिसमें सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का निर्देश दिया गया है, ताकि अफवाहों और गलत सूचनाओं के प्रसार को रोका जा सके।

प्रदर्शन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर बांग्लादेश में तीन दिन के अवकाश की भी घोषणा की गई है। इसके अलावा प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सुरक्षा मामलों की राष्ट्रीय समिति की आपातकालीन बैठक बुलाई है, जिसमें उन्होंने कहा, “जो लोग प्रदर्शन के नाम पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, वे छात्र नहीं बल्कि आतंकवादी हैं। मैं देशवासियों से अपील करती हूं कि ऐसे लोगों को मजबूती से जवाब दें।” इस बैठक में सेना, नौसेना, वायुसेना, पुलिस और सुरक्षा से जुड़े उच्च अधिकारी भी मौजूद थे।

प्रदर्शनकारी छात्र प्रधानमंत्री शेख हसीना का इस्तीफा मांग रहे हैं। उनका कहना है कि आरक्षण प्रणाली को समाप्त किए बिना वे पीछे नहीं हटेंगे। इससे पहले शनिवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ मुलाकात की थी और प्रदर्शनकारियों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया था। हालांकि, छात्रों ने बातचीत करने से इनकार कर दिया और अपनी मांगों पर अड़े रहे।

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    भारतीय नागरिकों के लिए चेतावनी

बांग्लादेश में मौजूदा संवेदनशील स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने बांग्लादेश में रह रहे अपने नागरिकों को सतर्क रहने और अगले आदेश तक यात्रा न करने की सख्त सलाह दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं:

ढाका में भारतीय उच्चायोग के आपातकालीन फ़ोन नंबर:
– +8801958383679
– +8801958383680
– +8801937400591

भारत सरकार ने बांग्लादेश में रह रहे अपने नागरिकों से सावधानी बरतने और भारतीय उच्चायोग के संपर्क में रहने की अपील की है। भारतीय सहायक उच्चायोग, सिलहट ने भी सभी भारतीय नागरिकों से सतर्क रहने की सलाह दी है और किसी भी आपात स्थिति में +88-01313076402 पर संपर्क करने के लिए कहा है।

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 प्रदर्शन का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ चल रहे इस उग्र प्रदर्शन का देश की राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इस आंदोलन ने न केवल सरकार की स्थिति को चुनौती दी है, बल्कि समाज में विभाजन की खाई को भी उजागर किया है। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि आरक्षण नीति शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में असमानता बढ़ा रही है।

प्रदर्शन के चलते देश में आर्थिक गतिविधियाँ ठप हो गई हैं और लोग भयभीत हैं। व्यापारियों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो इसका व्यापक आर्थिक और सामाजिक असर देखने को मिल सकता है।

बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का उग्र प्रदर्शन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। हिंसा और प्रदर्शन के बीच सरकार ने कर्फ्यू लागू कर स्थिति पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया है। हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और प्रदर्शनकारी किस प्रकार एक समाधान की ओर बढ़ते हैं। इससे देश के भविष्य की दिशा तय होगी और सामाजिक स्थिरता की बहाली में मदद मिल सकती है।

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