हत्या मामले में माले विधायक मनोज मंजिल को मिली जमानत, उम्र कैद कि सजा हुई थी |
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पूर्व विधायक मनोज मंजिल को पटना उच्च न्यायालय से जमानत: जय प्रकाश सिंह हत्या मामले में निचली अदालत ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा
Bihar Newd भोजपुर जिले के बड़गांव में 9 साल पहले हुए चर्चित जय प्रकाश सिंह हत्या मामले में भाकपा-माले के पूर्व विधायक मनोज मंजिल को पटना उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई है। इस मामले में निचली अदालत ने उन्हें और उनके 22 अन्य सहयोगियों को 13 फरवरी को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पटना उच्च न्यायालय द्वारा दी गई इस जमानत के बाद मनोज मंजिल की समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
9 साल पहले 20 अगस्त 2015 को भोजपुर जिले के अजीमाबाद थाना क्षेत्र में किरकिरी पंचायत के माले नेता सतीश यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के प्रतिशोध में बड़गांव गांव के निवासी चंदन कुमार के पिता जय प्रकाश सिंह का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई थी। चंदन कुमार के अनुसार, हत्या के वक्त वह अपने पिता के साथ थे और किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग निकले। इस घटना की सूचना उन्होंने अजीमाबाद थाना को दी थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि उनके पिता जय प्रकाश सिंह को ईंट-पत्थर से पीटकर मार डाला गया था और उनकी लाश को छुपा दिया गया था।
अदालत का फैसला
इस मामले में आरा सिविल कोर्ट के एडीजे 3 ने फरवरी में पूर्व विधायक मनोज मंजिल समेत 23 लोगों को दोषी करार देते हुए सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। निचली अदालत ने इस मामले में सभी दोषियों पर धारा 302/149 के तहत उम्रकैद और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा, धारा 364 के तहत 3 साल की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, और धारा 301 के तहत 3 साल की सजा और 5 हजार रुपये का जुर्माना भी सुनाया गया था।
जमानत के पीछे की कहानी
मनोज मंजिल और उनके सहयोगियों को सजा सुनाए जाने के बाद भाकपा-माले ने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने पटना उच्च न्यायालय से मिली जमानत का स्वागत करते हुए इसे अन्याय के खिलाफ न्याय की जीत बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि बाकी 22 साथी भी जल्द ही जेल से बाहर होंगे। हालांकि, उच्च न्यायालय द्वारा अभी तक निचली अदालत के फैसले पर स्टे ऑर्डर जारी नहीं किया गया है। कुणाल ने कहा कि यह फैसला जल्द आने की उम्मीद है और पार्टी ने इसके लिए अपील भी की है।
आरोप और राजनीति
मनोज मंजिल को जेल भेजे जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी। यह मामला न सिर्फ कानूनी, बल्कि राजनीतिक रूप से भी चर्चा में रहा। भाकपा-माले ने इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया और कहा कि मनोज मंजिल को फंसाया गया है। कुणाल ने उच्च न्यायालय से अपील की है कि चूंकि अगिआंव में विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है, इसलिए इस पर अविलंब सुनवाई की आवश्यकता है।
जय प्रकाश सिंह हत्या मामले में मनोज मंजिल की जमानत को लेकर अब सबकी नजरें उच्च न्यायालय के अगले फैसले पर टिकी हैं। इस मामले में कानूनी प्रक्रिया जारी है, और उच्च न्यायालय का स्टे ऑर्डर जारी होना बाकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की न्यायिक प्रक्रिया किस दिशा में जाती है।