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हमास और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष जाने पूरी जानकारी

बात समाज की –: हमास और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष ने दक्षिणी अरब और उत्तरी अफ्रीका के ग़रीबों को दुनिया भर में गहरी चिंता में डाल दिया है. यहां तक कि अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के भीतर भी समर्थन और विरोध दोनों तरफ़ व्यापक है.

हम इस विवाद की उत्पत्ति, प्रकृति, और इसके प्रमुख विशेषताओं को विश्लेषित करेंगे. हमास और इजरायल के मामला आज से ही नहीं बल्कि काफी पहले से है.

आज भी ये संघर्ष आज भी सुलझा नहीं है. अभी ये उम्मीद लगा पाना काफी मुश्किल है कि ये युद्ध कब रूकेगा. आजकल जो युद्ध की नीति है वो पारंपरिक और औपचारिक नहीं होता, बल्कि अनौपचारिक होता है.

पिछले दल सालों में विश्व के राजनीतिक पटल को देखें तो पाएंगे कि विभिन्न देशों के आपसी संबंधों में काफी कुछ बदलाव आए हैं. 

इतिहास और प्रारंभिक संघर्ष

हमास जिसे इस्लामी मुजाहिदीन की जमात के रूप में जाना जाता था, जिसका 1987 में ग़ज़ा में गठित हुआ था। यह फिलिस्तीनियन तबके की एक अलगाववादी ग़रज़ की अवधारणा के साथ शुरू हुआ,

जो इज़रायल के विरुद्ध संघर्ष करने का आग्रह कर रहा था. इसके बाद इज़रायल ने 1967 में आक्रमण कर ग़ज़ा को अपने अधीन किया था, जो कि हमास की उभरती हुई शक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण कारण बन गया.

इस संघर्ष के पीछे इतिहास में कई मुद्दे शामिल हैं, जिनमें भूमि, संस्कृति, और राजनीतिक स्वाधीनता की अन्य अवस्थाएं शामिल हैं।

हमास के रूप में शुरू होने वाले उत्पादन के साथ इज़राइली सैन्य और नागरिक इज़राइली निशानों की हमलों में के कारण अविश्वसनीय विवाद को आगे बढ़ाया है. 

क्या है मौजूदा स्थिति

यह विवाद वर्तमान में भी विकसित है, जिसमें तनावग्रस्त स्थिति, विद्रोह और विस्तारण के आसपास ग़ज़ा के ग़रीब वस्तियाँ शामिल हैं।

यहां तक कि हमास और इज़राइल के बीच गहरे असहमति और बदलती राजनीतिक प्रतिष्ठाएं भी शामिल हैं, जिसने प्रभावी तरीके से प्रक्रियाओं को प्रभावित किया है।

हमास और इज़राइल के बीच विवाद ने कई देशों के अर्थव्यवस्था को स्थिति को बदल कर रख दिया है. कई देश इजरायल का सपोर्ट कर रहे हैं. कई देशों की व्यापार करने की स्थितियों पर भी दिक्कत आई है.

अमेरिका और कई बड़े देश दोनों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं. सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर इजरायल ने हमला भी किया था. फिर गाजा में भी हमास का युद्ध शुरू हुआ,

तब से ईरान के समर्थन से हिजबुल्ला ने लेबनान और सीरिया से लगे इजरायल के सीमाई इलाके में हमले किए. उसके बाद इजरायल को भड़काया गया. इजरायल ने एक तरह से गाजा को समतल कर दिया है 

समर्थन और विरोध

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के भीतर, हमास के समर्थन और विरोध के बीच विवाद अभी तेज़ है। विभिन्न राष्ट्रों और संगठनों ने इस विवाद के लिए अलग-अलग दृष्टि प्रस्तुत किए हैं,

जिनमें कुछ ने हमास को विदेश समर्थन दिया है और दूसरे कई देश इज़राइल को भी समर्थन दिया है। ईरान जैसे देश हमास को समर्थन दिया है जिसके बाद इज़राइल और ईरान के बीच भी रिश्ते बिलकुल ठीक नहीं चल रहे हैं.

असहमति और उसकी प्रारंभिक असमंजस्यता से विश्व ने अपने अस्तित्व के लिए ये स्थिति आकर सामने खड़ा हुआ है. जिसमें इजरायल ने अपनी सैन्य ताकत भी इसके जरिये पूरी दुनिया को दिखाया है.

इसकी जवाबी कार्रवाई कहीं बम अटैक, ड्रोन अटैक की कार्रवाई कर चुका है। हमास और इजरायल के डिप्लोमेट्स ने किसी तरह के अहिंसा की बात को नकार रहा है.

इजरायल के राष्ट्रपति नेतन्याहू ने एक रेड लाइन खींची थी, और उस समय कहा था कि अगर कोई राष्ट्र उस लाइन को क्रॉस करता है तो इजरायल अपने पावर का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र हो जाएगा. उसके बाद हमास की ओर से परेशान किया गया उसके बाद ऐसे हालात बने.

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