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बिहार में कृषि रोड मैप किसानों के लिए कैसे है फायदेमंद …

बात समाज की -: बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। बिहार राज्य कृषि रोड मैप के माध्यम से कृषि एवं संबंधित क्षेत्र का सर्वांगीण विकास कर रहा है। राज्य में वर्ष 2008 से लगातार कृषि रोड मैप बनाकर किसानों के विकास से संबंधित कार्य किया जा रहा है।

       बिहार में उपजाऊ जमीन एवं सिंचाई के पानी की उपलब्धता तथा मेहनती किसान को दृष्टिगत रखते हुए भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ० अब्दुल कलाम के द्वारा कृषि को बिहार का कोर कॉम्पिटेंस भी कहा गया था। राष्ट्रीय किसान आयोग के द्वारा पूर्वी राज्यों विशेषकर बिहार में कृषि क्षेत्र के त्वरित विकास को देश की खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।

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           कृषि गणना वर्ष 2015-16 के अनुसार राज्य में कुल जोत की संख्या में 91.21 प्रतिशत सीमान्त क्षेत्र है. राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार राज्य की सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग 19 प्रतिशत है ।

कृषि रोड मैप –

कृषि में समेकित विकास और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए राज्य में कृषि रोड मैप बनाकर योजनायें सरकार की ओर से चलाई जा रही हैं। सरकार ने किसान पंचायत के आयोजन से कृषि रोड मैप बनाकर कृषि के समेकित विकास की शुरूआत हुई।

          वर्ष 2008 से 2012 तक पहला कृषि रोड मैप, 2012 से 2017 तक दूसरा कृषि रोड मैप और 2017 से 2023 तक के लिए तीसरा कृषि रोड मैप बनाकर राज्य सरकार किसानों के लिए लाई. कृषि रोड मैप के जरिये कई योजनाए किसानों के लिए लाई गई. एक साथ विकास का दृष्टिकोण, रणनीति एवं कार्यक्रमों का प्रमाणिक दस्तावेज तैयार किया गया।

 

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         कृषि विकास के लिए इस प्रकार का दस्तावेज तैयार करनेवाला बिहार पहला राज्य बना। प्रथम कृषि रोड मैप में गुणवत्तापूर्ण बीज, नए कृषि यंत्र, हरी खाद वर्मी कम्पोस्ट तथा कृषि के नए तकनीक को प्राथमिकता दी गई, वहीं दूसरे कृषि रोड मैप का व्यापक विजन रखा गया प्रत्येक भारतीय के थाली में बिहार का एक व्यंजन पर ध्यान दिया गया।

         प्रथम कृषि रोड मैप की उपलब्धियों से उत्साह बढ़ने के फलस्वरूप दूसरे कृषि रोड मैप को व्यापक बनाया गया। इसमें कृषि, पशुपालन, सहकारिता के साथ-साथ सिंचाई, बिजली, विपणन, भंडारण एवं प्रसंस्करण, भूमि प्रबंधन, संपर्क पथ, वृक्षारोपण से संबंधित 12 विभागों को कार्यक्रम में शामिल किया गया। तीसरे कृषि रोड मैप में किसानों के खेत तक बिजली और उनके फसल को दोगुना करने पर जोर दिया गया।

कृषि रोड मैप जरिये हुआ नाम-

          2011-12 में चावल, वर्ष 2012-13 में गेहूँ, वर्ष 2015-16 में मोटे अनाज (मक्का) वर्ष 2016-17 में मोटे अनाज (मक्का) तथा वर्ष 2017-18 में गेहूँ के उत्पादन एवं उत्पादकता उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए भारत सरकार द्वारा राज्य को कुल पाँच “कृषि कर्मण पुरस्कार दिया गया है।

           राज्य सरकार के प्रयासों से बिहार के छः कृषि धरोहरों कतरनी चावल, जर्दालु आम, शाही लीची, मगही पान, मिथिला मखाना तथा मर्चा धान को भौगोलिक सूचकांक (जी.आई. पंजीकरण) मिल चुका है । लेकिन अभी भी और विकास की जरूरत है ताकि किसानों के फसल को उचित कीमत मिल पाए.

          इससे पहले बिहार के कृषि मंत्री रहे सुधाकर सिंह ने कई बार कृषि रोड मैप को लेकर सवाल उठाया हालांकि बाद में उनको उनके पद से त्याग पत्र देना पड़ा था.

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