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यूके की राजनीति में चमका ये भारतीय चेहरा

 

  1. बिहार में जन्मे कनिष्क नारायण ब्रिटेन में बने सांसद
  2. सिविल सर्विस छोड़कर लड़ा था चुनाव… बना दिया इतिहास
  3. अपने देश में हुई शुरुआती पढ़ाई…12 साल की उम्र में चले गए थे ब्रिटेन !

बात समाज की –: मुजफ्फरपुर के रहने वाले कनिष्क नारायण वेल्स यूके से लेबर पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज कर सांसद बने हैं। 33 वर्षीय कनिष्क सिविल सर्विस में थे। चुनाव की घोषणा के बाद नौकरी से इस्तीफा देकर वे मैदान में उतरे। करीब दो महीने पहले वे एक पारिवारिक पूजा में शामिल होने के लिए माता-पिता के साथ भारत आए थे। लेकिन, चुनावी व्यस्तता के कारण दिल्ली से ही वापस लौट गए। माता-पिता व भाई समेत अन्य परिजन मुजफ्फरपुर आए थे। शुक्रवार को कनिष्क के सांसद बनने की सूचना मिलने पर शहर के दामुचक स्थित सोंधो अपार्टमेंट में जश्न शुरू हो गया है।

12 साल की उम्र में ब्रिटेन पहुंचने वाले कनिष्क वेल्स के पहले अल्पसंख्यक सांसद बने हैं। मुजफ्फरपुर में उन्होंने तीसरी कक्षा तक पढ़ाई की। पिता संतोष कुमार और मां चेतना सिन्हा एसकेजे लॉ कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली चले गए। जिसके बाद आगे की पढ़ाई कनिष्क की वहीं हुई। जब वे 12 साल के हुए तब मां-पिता ब्रिटेन चले गए और परिवार वहीं बस गया।

मूल रूप से वैशाली के गोरौल स्थित सौंधो के रहने वाले स्व. कृष्ण कुमार और वीणा देवी बहुत साल पहले मुजफ्फरपुर के दामुचक में बस गए थे। स्व. कृष्ण कुमार मुजफ्फरपुर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के चेयरमैन और एसकेजे लॉ कॉलेज के फाउंडर थे। उनके तीन बेटों में सबसे छोटे संतोष कुमार के पुत्र कनिष्क नारायण यूके में सांसद चुने गए हैं।

कनिष्‍क में बचपन में शायद ही सोचा होगा कि उनकी सफर मुजफ्फरपुर के प्रभात तारा स्‍कूल से ऑक्सफोर्ड और स्टैनफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों तक पहुंचेगा. उन्‍होंने ऑक्सफोर्ड और स्टैनफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों से दर्शनशास्त्र, राजनीतिक अर्थव्यवस्था और व्यवसाय प्रशासन में मास्टर डिग्री हासिल की है. कनिष्क ने सार्वजनिक सेवा को छोड़कर राजनीति में आने का फैसला किया था. इससे पहले वह यूरोप और अमेरिका के कई बड़े संस्‍थानों में काम कर चुके हैं.

कनिष्क नारायण के रिश्तों के तार भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से भी जुड़े हुए हैं. डॉ राजेंद्र प्रसाद कनिष्क नारायण की दादी के दादाजी थे. हालांकि, कनिष्क नारायण की बहन ने बताया कि वो कभी डॉ राजेंद्र प्रसाद से नहीं मिले थे लेकिन इतिहास के तार अगर जोड़े जाएं तो दोनों का रिश्ता जुड़ा हुआ है.

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